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लाड़ली

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 लाड़ली अब पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी की तलाश में है ,मगर लगता है - बात आज की ही है । याद आता है वो हर एक पल जब तुम गोद मे आई ,कहते है कि माँ जब से गर्भवती होती है तो जो माँ सोचती है कि "लड़का होगा या लड़की"  वही होता है । जो भी देखे वो बोले कि लड़का होगा , मगर मै तो हमेशा से प्यारी सी बेटी ही चाही  ,और मैने उसका नाम भी सोच  लिया ।            इंतजार की घड़ी पूरी होने का वक्त आया ,जब डॉक्टर ने मुझे बताया और  दिखाया तो खुशी से आँखे छलक गई। इतनी नाजुक सी तुम -कि लगता था कि छुने मे भी दर्द न हो तुम्हे। घर मे सबकी लाड़ली , पापा की पिंकी, मम्मा की छुनछुन , दादी की सोन चिरैया ,दादा की पहलवान,  नानी की रिया , मौसी का प्यारा बच्चा,सभी  प्यार भरे नाम से पुकारते फिर आई चाचा की बारी ,चाचा ने  नाम रखा  "राशि " ।                ३ साल की होते ही तुमको विद्यालय मे दाखिला करवाया गया ,२ साल पढ़ने के बाद दूसरे विद्यालय मे दाखिला करवाए जो घर से काफी दूर था विद्यालय कि पहला दिन हम तुम्ह...

हमारी अधूरी कहानी .......

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       याद आता वो वक्त जब हमारी मंजिल एक होते होते भी एक नही हो पाई,। सारी बाते लगभग तय होने के बाद  भी ऐसा कैसे हो गया ।  किस्मत तो क्या  ? कभी कभी लोगो की बातें सुनकर  हम अपना  विचार बदल देते है । ये कहावत सही है सुनो सबकी , करो मन की । वाकई सही बात है  और  हमारी मंजिल अलग अलग हो गई  ।           फिर कई अरसो के बाद    हमारी मुलाकात हुई,  मैने कभी सोचा भी नही था कि हम इत्तफाक से मिलेंगे । कभी हम रिश्तो मे बँधे होते, मगर तकदीर के आगे किसी का वश नही ।  मिले तो हम ऐसे मिले कि हम कुछ भी न  बोल पाए। सिर्फ हम एक दूसरे को निहारते रहे।                मेरे साथ बीती घटना के बारे मे उन्हे  पता था, परेशान थे वो , मन मे प्रश्नों ने उथल पुथल मचा रखी थी कि कैसे पूँछू ,सबके बीच घिरे हुए थे हम ,उसी वक्त मौका देखते हुए  ,उनका धीरे से मुझसे पूछना-  तुम  ठीक हो न । मेरे कुछ कहे बिना ही वो मुझे समझ गए और बोले - चिंता मत ...

हौसला

आज की इस  विषम परिस्थितिजन्य एवं कोरोना जैसी भयावह बीमारी को देखकर  सबका दिल दहल सा गया। रोज सुबह उठते ईश्वर से प्रार्थना करना कि -"हे  ईश्वर सबकी रक्षा करना " और रात को सोते वक्त ईश्वर का शुक्रिया करना ।             प्रार्थना करते करते दिन बीतता गया और ईश्वर ने हमारी परीक्षा ली । एक दिन मेरी मम्मी का फोन आया - वो बोली कि मेरी तबियत ठीक नही लग रही,  मम्मी बहुत डरी डरी रहती ,पापा उन्हे ढाँढस देते हुए बोले - चिंता मत करो ,कुछ नही है।दो दिन बीत जाने के बाद मेरी मम्मी का फिर फोन आया और बोली - कि बेटा आज पापा की तबियत ठीक  नही है।                    पापा से फोन पर बात किए  ,  तो पापा का वो शब्द  कि बेटा " अब मै हिम्मत  हार गया"   सुनकर दिल झकझोर गया ,  कितनी भी कठिन परिस्थिति आए मेरे पापा हिम्मत नही हारते। फिर हम पापा को बोले -" पापा आप से तो हमारी हिम्मत है " आप ऐसा नही बोलिए , सब ठीक होगा।                ...

जिंदगी अनसुलझी सी ...........

  उम्मीदों के सपने संजोए, बाबुल का घर छोड़कर जब वह आती है ससुराल , तो मानो लगता है उससे ज्यादा खुशकिस्मत कोई नही है ।  आइने मे जब अपने आप के नए रूप को देख, वो  नए रिश्ते ,नए परिवेश को उसी पल स्वीकार कर लेती है ,  घर के हर एक कोने में  सपने संजोती है  कि " काश ऐसा होता.".......                      रिश्तो की पदोन्नति होते होते एकाएक वही रिश्ता ही छूट गया , जिससे मेरी पदोन्नति हुई। बहुत कोशिशों के बाद भी नही समेट पायी ,वो रिश्ता। वह मजबूर और लाचार सा महसूस करने लगी । जीने की आश छोड़ती कि उससे पहले उस मासूम का चेहरा नजर आया, नन्हे हाथों से आँचल पकड़ डरी सहमी सी वो मुझसे लिपट गई और धीरे से कान मे बोली -" मम्मा का हुवा  " । मै उसे सीने से लगाकर बोली -कुछ नही मेरा बच्चा । फिर वो बोली मम्मा रो मत  -मै हूँ           उसके शब्दों ने जीने की आश जगा दी । मै एक जिंदा लाश सी पड़ी रहती , टकटकी लगाए आकाश निहारती।  अपने मे अपनी गलतियो को ढूँढती , मेरी गलती  है क्या ? फिर...