लाड़ली
लाड़ली अब पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी की तलाश में है ,मगर लगता है - बात आज की ही है । याद आता है वो हर एक पल जब तुम गोद मे आई ,कहते है कि माँ जब से गर्भवती होती है तो जो माँ सोचती है कि "लड़का होगा या लड़की" वही होता है । जो भी देखे वो बोले कि लड़का होगा , मगर मै तो हमेशा से प्यारी सी बेटी ही चाही ,और मैने उसका नाम भी सोच लिया । इंतजार की घड़ी पूरी होने का वक्त आया ,जब डॉक्टर ने मुझे बताया और दिखाया तो खुशी से आँखे छलक गई। इतनी नाजुक सी तुम -कि लगता था कि छुने मे भी दर्द न हो तुम्हे। घर मे सबकी लाड़ली , पापा की पिंकी, मम्मा की छुनछुन , दादी की सोन चिरैया ,दादा की पहलवान, नानी की रिया , मौसी का प्यारा बच्चा,सभी प्यार भरे नाम से पुकारते फिर आई चाचा की बारी ,चाचा ने नाम रखा "राशि " । ३ साल की होते ही तुमको विद्यालय मे दाखिला करवाया गया ,२ साल पढ़ने के बाद दूसरे विद्यालय मे दाखिला करवाए जो घर से काफी दूर था विद्यालय कि पहला दिन हम तुम्ह...