हौसला
आज की इस विषम परिस्थितिजन्य एवं कोरोना जैसी भयावह बीमारी को देखकर सबका दिल दहल सा गया। रोज सुबह उठते ईश्वर से प्रार्थना करना कि -"हे
ईश्वर सबकी रक्षा करना " और रात को सोते वक्त ईश्वर का शुक्रिया करना ।
प्रार्थना करते करते दिन बीतता गया और ईश्वर ने हमारी परीक्षा ली । एक दिन मेरी मम्मी का फोन आया - वो बोली कि मेरी तबियत ठीक नही लग रही, मम्मी बहुत डरी डरी रहती ,पापा उन्हे ढाँढस देते हुए बोले - चिंता मत करो ,कुछ नही है।दो दिन बीत जाने के बाद मेरी मम्मी का फिर फोन आया और बोली - कि बेटा आज पापा की तबियत ठीक नही है।
पापा से फोन पर बात किए , तो पापा का वो शब्द कि बेटा " अब मै हिम्मत हार गया" सुनकर दिल झकझोर गया , कितनी भी कठिन परिस्थिति आए मेरे पापा हिम्मत नही हारते। फिर हम पापा को बोले -" पापा आप से तो हमारी हिम्मत है " आप ऐसा नही बोलिए , सब ठीक होगा।
हालत को देखकर मम्मी और पापा को बालाजी हास्पिटल मे भर्ती कराया गया । दवाई और दुआओ के साथ हम उन्हे हौसला दिलाते रहे " आप लोग को कुछ नही हुआ ,आप जल्दी ठीक हो जाएगें । दिन ब दिन उनकी तबियत मे सुधार आया , वो अपना हौसला बनाए रखे और 21 दिनों की कोरोना जैसी भयावह बीमारी से जंग लड़कर सकुशल घर पहुंच गए ।
इससे ये साबित हुआ कि " किसी बीमारी से लड़ने के लिए दवाई, दुआ के साथ-साथ हौसला बहुत जरूरी है" ।
अंशु स्वर्णकार
भिलाई
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